रागवत : विभिन्न चित्रों व विषयों का गढ़वाली काव्य संग्रह By: Bhishma Kukreti

रागवत : विभिन्न चित्रों व विषयों का गढ़वाली काव्य संग्रह
(गढ़वाल,उत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता क्रमगत इतिहास भाग
(गढ़वाली कविता का आलोचक और इतिहास,

‘रागवत’ सिद्धि लाल विद्यार्थी का पहला गढ़वाली काव्य संग्रह है। इस काव्य संग्रह में 42 गढ़वाली कविताएं एकत्र की गई हैं।
अधिकतर आध्यात्मिक और दार्शनिक होते हैं (नियाधारी कु आधार, अस); पर्यावरण संरक्षण और गढ़वाल भौगोलिक कल्पना (प्राकृति वरदान, धरती); गढ़वाल संस्कृति, कष्टप्रद सांस्कृतिक परिवर्तन (दया पड़ई संस्कृति); प्रवास की समस्या, प्रवास से सामाजिक परिवर्तन और प्रवास का दर्द (दूर दरजाई नौक्री), सामाजिक कारण (नौन्यून भ्रुण हत्य), राष्ट्रवाद और अन्य महत्वपूर्ण विषय ।


सिद्धि लाल जाति और असमानता प्रणाली (पाडई संस्कृत, मनखीं बन्ति किलाई) दमन और सामाजिक, प्रेरणादायक राजनीतिक, और अन्य प्रकार के उत्पीड़न पर अपनी कविताओं से प्रभावित करते हैं।
बृहद गढ़वाल के कोने-कोने में उनकी भाषा सरल और आसानी से समझने वाली है।
Siddhi Lal Vidyarthi uses common phrases of Garhwal and those phrases create the desired images of auditory (पाण्यूँ संसड़ाट ); visual ( हिसर , किन्गोड़ा , बयिं बुतीं ), age (बुढ़ापू गे , कैकई ज्वनि ),taste (मिट्ठौन , मिट्ठी -मिट्ठी ); figurative speeches and emotions.
गढ़वाली कवि तोता राम ढौंडियाल ने उनकी यथार्थ कविताओं की सराहना की।
समाजशास्त्र के विद्वान प्रोफेसर प्रेम चंद्र जोशी सिद्धि लाल के सामाजिक अनुभवों और कल और आज के सामाजिक संरचना को चित्रित करने के उनके दृष्टिकोण की सराहना करते हैं।
मदन डुकलन कहते हैं कि विद्यार्थी अनुभवी गरीबी, असमानता, और सामाजिक तर्कहीन परिवर्तन का वर्णन करने में सफल है।
कुल मिलाकर सीधी लाल विद्यार्थी के प्रयास की आलोचक सराहना करेंगे और पाठक कविताओं का आनंद लेंगे।
रादवत
A 42 Garhwali poetry collection
कवि- सिद्धि लाल विद्यार्थी
वर्ष - 2017
Publisher Samay Sakshya, Faltu Line Dehradun
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